त्रासदी के बाद क्या होता है? क्षमादान
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अज़ीम ख़मीसा, प्लेस फीलिक्स |
TEDWomen 2017
• November 2017
१९९५ की एक भयानक रात को, प्लेस फीलिक्स के १४-वर्षीय दोहते ने नशे, शराब और अपनेपन की एक झूठी भावना में धुत होकर अज़ीम ख़मीसा के बेटे को गिरोह के दीक्षा संस्कार में मार डाला। इस भयानक घटना ने अज़ीम ख़मीसा और प्लेस फीलिक्स को ईश्वर के ध्यान में लीन कर दिया, क्षमा करो और क्षमा पाओ... और साहस और सुलह के इस कार्य में, दोनों मिले और एक कभी ना टूटने वाले बंधन में बंध गए। एक साथ मिलकर, उन्होंने अपनी कहानी को एक बेहतर और अधिक दयालु समाज के लिए एक रूपरेखा के रूप में उपयोग किया है, जहाँ त्रासदी के शिकार लोग अपना गम भूल सकते हैं और आगे बढ़ सकते हैं। उनकी अकाल्पनिक कहानी आपको द्रवित कर देगी। ख़मीसा कहते हैं, "शांति संभव है। मैं यह कैसे जानता हूँ? क्योंकि मैं शांति महसूस करता हूँ।"