सुहैर हम्मद: युद्ध, शांति, नारी और शक्ति की कविताएँ
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Suheir Hammad |
TEDWomen 2010
• December 2010
कवियत्री सुहैर हम्मद रीढ़ में सनसनी जगा देने वाली दो कविताएँ पेश करती हैं: 'मैं जो करूँगी' और 'तोड़ दो (संकलन)' -- युद्ध और शांति, नारी और शक्ति पर मनन. इस चौंकाने वाली पंक्ति का इंतज़ार कीजिए --"उससे मत डरो जो फट चुका है. अगर डरना ही है, डरो उससे जो अभी फटा नहीं."